Monday, April 9, 2018

हिरण अभ्यारण का उद्धघाटन अभिनेता #सलमान खान के हाथों...

20 साल पुराने मुक़दमे में सलमान खान को 5 साल कैद। 5 अप्रैल को सजा मुकर्रर होने के बाद से ये खबर हर टीवी चैनल और हर अखबार में छाई हुई है टीवी चैनल की टीआरपी तो आसमान छु रही है। ये सब जितना सामने है बिना किसी को नीचा दिखाए दिखा रहे है। और फिर अदालत के फैसले की खिलाफत तो सिर्फ दलित समाज ही कर सकता है। नही तो सलमान खान के अनुसरण करने वाले तो हर राज्य में नहीं हर देश में है। खैर, फैसला 10 अप्रैल 2006 को सलमान के खिलाफ ही आये एक दूसरे फैसले से मेल खता हुआ आना इत्तेफाक ही समझते हुए इस मसले को आगे तक परखने पर यह सामने आता है की आने वाले कुछ समय में चेहते सलमान खान 20 साल पुराने इस मसले से भी आजाद नजर आएंगे और इस पर भारत की न्याय व्यवस्था पर सवाल नहीं खड़े होने चाहिए। इससे बेहतर फैसला क्या हो सकता है यह तो कहना सही नहीं है लेकिन इसका एक और विकल्प मेरे नजर में क्या हो सकता है। यही बताने जा रहा हूँ।
"भारत का सबसे बड़ा हिरण अभ्यारण का उद्धघाटन अभिनेता सलमान खान ने अपने पिता से करवाया। गौरतलब है कि पार्क में 2000 से ज्यादा हिरण एक साथ दर्शकों को देखने को मिलेंगे साथ ही हिरणों की सेहत को जांचने के लिए यहाँ साल में 2 बार डियर चेकप वीक का आयोजन किया जायेगा। साथ ही इस अभ्यारण के एक हिस्से में जानवरों का एक हॉस्पिटल भी खोला जायेगा। जिससे की किसी तरह की दुर्घटना के समय समय हिरणों को तुरंत इलाज मिल सकेगा। इसके साथ ही इस अस्पताल में सभी तरह के पालतू जीवों का इलाज भी कराया जा सकेगा और आवारा पशुओं को इलाज कर उन्हें सही स्थान पर पहुंचाने की सुविधा यहाँ दी जाएगी। यह सभी मुमकिन हो पाया 5 अप्रैल 2018 को आये अदालत के फैसले से। जिसमें सलमान खान को 2000 हिरणों के रहने लायक पार्क का निर्माण करने की सजा दी गयी थी। जिसे पूरा करते हुए सलमान खान ने अपनी सजा स्वरुप पूरे किये इस अभ्यारण के साथ भारत का नाम पूरे विश्व में रोशन किया।"



यह सिर्फ एक नज़रिया समझा जाना चाहिए भारत की न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करना मेरा उद्देश्य कतई ना समझा जाये। भारत के संविधान की इज्जत मेरे दिल में भी उतनी ही है जितनी की आप के दिल में। लेकिन इस न्याय से हिरण और उसके बचे हुए साथियों को क्या मिला। व्यवस्था का ये स्वरुप मनमोहक है] न्यायोचित भी लगता है। और कितने मसलों में इस तरह के फैसले सुनाये जाते है यह तो तुरत नहीं कहा जा सकता लेकिन यह उन्नति का एक रास्ता खोलती व्यवस्था का प्रतीकात्मक स्वरुप जरूर है।

Written by- Author Aviram

2 comments:

  1. Salman case par ye wala view to mene socha to kya suna bhi nahi hai, ye Best wala hai.

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    1. जी, इस तरह के केस में और क्या-क्या होने की गुंजाइशे है यही दिखाना लेखक का उद्देशय है

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